हम तेरा प्रतिरूप है मां मां से ही है जगत का द्वार जो चाहे कर लो विस्तार। हम तेरा प्रतिरूप है मां मां से ही है जगत का द्वार जो चाहे कर लो विस्तार।
कल्पना के संसार से हम क्षण में औंधे मुँह ही लड़खड़ाते गिर गए ! कल्पना के संसार से हम क्षण में औंधे मुँह ही लड़खड़ाते गिर गए !
ये हैं भविष्य भारत कुल का यही वृक्ष विशाल बन जाएंगे। ये हैं भविष्य भारत कुल का यही वृक्ष विशाल बन जाएंगे।
पाकर प्यार तुम्हारा मैं धन्य हूँ ओ मेरी संगिनी। पाकर प्यार तुम्हारा मैं धन्य हूँ ओ मेरी संगिनी।
बड़े भी उन जैसी, कल्पना ना कर पाते। बात मनवाने के उन्हें, सारे पैंतरे हैं आते बड़े भी उन जैसी, कल्पना ना कर पाते। बात मनवाने के उन्हें, सारे पैंतरे हैं आत...